गले लग जाओ
ग़म भुलाना हो तो आओ गले लग जाओ
ख़ुशी बाँटना हो तो आओ गले लग जाओ
फ़क़त ईद मुबारक़ से नहीं मिटती दूरियाँ
फासले घटाना हो तो आओ गले लग जाओ
जाते हो तो जाओ मुस्कुराते हुए जाना म’गर
दिल अभी भरा ना हो तो आओ गले लग जाओ
आओ इस रिवाज़ को इक मुक़ाम दे मिल कर
मुहब्बत करना हो तो आओ गले लग जाओ
अदावत नफ़रत में रखा ही क्या है यारों कभी
गिले शिकवे मिटाना हो तो आओ गले लग जाओ
मज़हब ,जाति ,सियासत इक तरफ सब के सब
यार इंसा बनना हो तो आओ गले लग जाओ
ये क़ल्ब एक जमाने से बस है जिंदा खामोश
धड़कन बढ़ाना हो तो आओ गले लग जाओ
ग़ज़ल, शायरी, नज़्म सब युहीं बे असर मुझपे
दिल मुझसे लगाना हो तो आओ गले लग जाओ
फ़लक से कबका निकल आया इक चाँद जाना
ईद अ’गर मनाना हो तो आओ गले लग जाओ
@कुनु