गले लगा लेना
प्यार में झगड़े होना स्वाभाविक, इसमें परेशान होने की बात नहीं।
जो प्रेम साथ रहकर न लड़े, समझो वो मुश्किल में देगा साथ नहीं।
जो तुम रूठे तो मैं मनाऊंगा, मेरे रूठने पे मनाकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
एक बार झगड़ा कुछ यूं हुआ, मुझे उनका जन्मदिन याद नहीं रहा।
उन्होंने बात करना बंद किया, कई दिन तक कोई संवाद नहीं रहा।
कभी जो मन ही ऊब जाए, तो इसी तरह सताकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
फिर हम दोनों को पढ़ने के लिए, बड़े शहरों की तरफ़ जाना पड़ा।
प्रेम साक्षात तो पास नहीं था, फिर स्वप्नों में प्रीत को बुलाना पड़ा।
जो फिर कभी दूर जाना पड़ा, पहले मुझे बताकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
मेरी जान ही निकल जाती है, प्रियसी! तुम यूं गुमसुम न रहा करो।
दिल की हर छोटी व बड़ी बात, मुझसे बिना संकोच के कहा करो।
मेरी थकान पल में छू मंतर होगी, बस तुम हँसकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
आज सारे ज़माने की पैनी नज़र, हमारे प्यार की दुश्मन हो गई है।
नज़र का असर होने से ही, हम दोनों के बीच में अनबन हो गई है।
मैं कड़वी यादें भूलता रहूंगा, तुम भी मुझे कसकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
जो बेइंतहा मोहब्बत करते हो, तो यों सबके आगे जताते क्यों हो?
दिल में छिपाने वाली बातें भी, खुलकर दोस्तों को बताते क्यों हो?
दोस्तों की गप्पों से बचते हुए, यूं एक मौका पाकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
प्रेम में केवल भाव और चाव ही, प्रमुख कारक बनकर शामिल हैं।
इन्हें भूलना प्रेम छोड़ने के समान, बस स्वीकृति इसकी मंज़िल है।
मैं भाव-चाव लेकर आऊंगा, तुम ये बाहें बिछाकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।
प्रेम की प्रतिज्ञा तब पूरी होगी, जब नियम का पालन करते रहोगे।
संबंधों में बंधे होने के बाद भी, संकल्पों का संचालन करते रहोगे।
जो सम्बन्ध प्रेम के आगे आएं, तो सबसे छिपाकर गले लगा लेना।
मेरी उम्मीदें आज भी कायम है, तुम पास बुलाकर गले लगा लेना।