गलती
गलत को गलती कह देने से गुनाह कम नही हो जाते,
सिर्फ गलती ही की होती तो ऐसी सज़ा नही पाते,
माफ़ी तो दूर कोई सज़ा न देना चाहे,
इतना ग़लत किया है तो कोई क्यों करेगा बातें,
उस अहसास का मतलब क्या जो गलती करने के बाद हो,
उस सही का मतलब क्या जो गलत होने के बाद हो,
गलती किसी से भी हो उसकी एक वजह होती है,
पर ज़माने की नज़र मे माफी मतलब सिर्फ सज़ा होती है,
कोई पूछो न एक बार उस गलती करने वाले से,
उसने अपने दिल में कौन सा दर्द छुपाया है,
अपनी ज़िंदगी के बारे मे उसने अपनो को क्या बताया है,
सुनो न उसके दिल की आवाज़ वो कुछ कह रहा है,
उसकी आँखों से भी एक समुंदर बह रहा है,
कहना चाहता है की अकेला हु बहुत सहारा चाहिए,
फँस गया हु तूफान में कोई किनारा चाहिए,
मत दो माफी एक बात मान लो,
सुला दो इस कदर की खो जाऊ मैं,
कभी न जाग पाऊँ ऐसे सो जाऊ मै,
कहते है की आखिरी ख्वाहिश कभी अधूरी न रखो,
मेरे लिए अपनी ज़िंदगी मे हमेशा मुस्कुराहट रखो,
न जाने क्यों फ़िक़्र सब हमारी कर रहे थे,
इतना कुछ कहा इस दिल ने अपने दिल में,
किसी ने सुना ही नहीं,
पता है क्यों,
क्युंकि सब सज़ा की तयारी कर रहे थे,
पर कोई तो होगा जिसने इस दिल की बात सुनी हो,
बोलो किसी ने सुना हैं क्या,
बताना जरूर,
माफ़ी मिलेगी या नहीं……
✍️वैष्णवी गुप्ता (Vaishu)
कौशाम्बी