गर पेट में कोई भी निवाला न जाएगा
गर पेट में कोई भी निवाला न जाएगा
सर पर कोई भी बोझ उठाया न जाएगा
जो रहनुमा हैं देश के उनको बदल भी दो
वर्ना कभी ये मुल्क बचाया न जाएगा
आवाज़ मुफ़लिसों की दबाते रहे हैं जो
ऐसो के सर पे ताज़ सजाया न जाएगा
कोई नहीं ग़ुलाम हैं आज़ाद लोग सब
आज़ाद फिर ग़ुलाम बनाया न जाएगा
मुश्किल के वक़्त पीठ दिखाकर के हंस पड़े
ऐसा पड़ोसी पास बसाया न जाएगा
मेरा वतन है जान मेरी आन – बान है
जब तक है साँस दिल से भुलाया न जाएगा
सदियों से होता आया है सदियों रहेगा ये
कैसे कहें जो आया बुलाया न जाएगा
‘आनन्द’ ये सवाल सदा पूछता रहे
बोलो मेरे बग़ैर रहा क्या न जाएगा
स्वरचित
डॉ आनन्द किशोर