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15 Jun 2024 · 1 min read

गर तुम हो

ये बारिशों की बूंदे
ये मीठी से चुभन
ये सरसरी हवाएं
ढाह रही जुल्म
देखते ही तुमको
प्यार हो गया
मेरा मुझसे से
राफ्ता हो गया
क्या कहूं मैं तुमसे
मेरा एतबार रब से
हो गया है ऐसा
जैसा नहीं था पहले
मेरे दिल में आज
बस एक ही रजा है
गर तुम हो, तो है जिंदगी
नहीं तो जिंदगी सजा है।
मिट जाऊं तेरे दर
ऐसी ख्वाहिश है
फिर उठूं गुबार सा
बस इतनी नवाजिश है
मोहब्बत की दुनिया में
गम बहुत है सारे
बदलती है फितरत
पर नहीं बदलते फंसाने
मेरी ये बात
खुद के साथ रखना
मुहब्बत की दुनिया
मुहब्बत के साथ रहना
गर मिले गिला
तो हंसना मुस्कराना
मेरा हाल क्या है
ये तुमने ही जाना
अपना हूं मैं तेरा
कभी बेगाना ना बनाना
मेरे दिल में आज
बस एक रजा है
गर तुम हो, तो है जिंदगी
नहीं तो जिंदगी सजा है।

मयंक

Language: Hindi
130 Views
Books from मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
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