गर तुम हो
ये बारिशों की बूंदे
ये मीठी से चुभन
ये सरसरी हवाएं
ढाह रही जुल्म
देखते ही तुमको
प्यार हो गया
मेरा मुझसे से
राफ्ता हो गया
क्या कहूं मैं तुमसे
मेरा एतबार रब से
हो गया है ऐसा
जैसा नहीं था पहले
मेरे दिल में आज
बस एक ही रजा है
गर तुम हो, तो है जिंदगी
नहीं तो जिंदगी सजा है।
मिट जाऊं तेरे दर
ऐसी ख्वाहिश है
फिर उठूं गुबार सा
बस इतनी नवाजिश है
मोहब्बत की दुनिया में
गम बहुत है सारे
बदलती है फितरत
पर नहीं बदलते फंसाने
मेरी ये बात
खुद के साथ रखना
मुहब्बत की दुनिया
मुहब्बत के साथ रहना
गर मिले गिला
तो हंसना मुस्कराना
मेरा हाल क्या है
ये तुमने ही जाना
अपना हूं मैं तेरा
कभी बेगाना ना बनाना
मेरे दिल में आज
बस एक रजा है
गर तुम हो, तो है जिंदगी
नहीं तो जिंदगी सजा है।
मयंक