गर्म स्वेटर
गर्म स्वेटर
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मेरी ठिठुरन को
दूर करने के लिए
उन के मुलायम नर्म धागे से बुनती रही
मेरे लिए गर्म स्वेटर
अलग अलग रंग
चित्रकारी के
मैं तुम्हारी आँखों में बनने वाले
धागों से बुनता रहा तुम्हारे सपने
ताकि बदले में वैसे ही प्यार की
गर्माहट तुम्हें भी मिले
रंगीन चित्रकारी भरे
न कभी शीत ॠतु ने
हमारे घर आना बंद किया
और न कभी मैंने रोका खुद को
तुम्हारी आँखों को पकड़ कर
तुम्हारे सपनों को बुनना,
शादी की पच्चीसवीं पर कह रहा हूँ
बीती 25 शीत ॠतुओं की
ठंड गवाह है
उस गर्माहट की जो तुम्हारे बुने स्वेटरों से
मुझे मिलती रही
अब चश्मे के पीछे आँखों में
वो धागे नहीं दिखते
प्रमाण है एक
एक वो सारे तुम्हारे सपने पूरे ही नहीं हुए
बल्कि वे तुम्हारे चारो ओर
खड़े मुस्करा रहें हैं
साकार होकर जीवंत ।
– अवधेश सिंह