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2 Jun 2023 · 1 min read

गर्म चाय

ओढ़ी धूप ने कोहरे की चादर,
पहाड़ी चोटियाँ बर्फ से ढकी हैं।

झीलों का पानी जम सा गया,
बूँदें ओस की फूलों पर ठहरी हैं।

पंरिदें लताओं में दुबके हैं बैठे,
हवा में कुछ ठहरी हुई सी नमी है।

खामोशी से दिल ने जताया हमें,
मौसम सर्द, गर्म चाय की कमी है।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- ०९.०१.२०२१.

Language: Hindi
1 Like · 583 Views
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