गर्मी में सॉफ्ट ड्रिंक
तेज चिलचिलाति धूप में,
राहत नहीं मिलती भीषण गर्मी में,
प्याऊँ जहांँ पर लगते थे,
नीबू पानी जहांँ बिकता था,
खातिरदारी मेहमानों की,
शरबत पानी से होता था,
अब शान और शौकत बदल गयी,
बोतल का नशा अद्भुत है,
सिर चढ़ के यूँ बोल रहा,
आदत में सबके उतर गयी,
ठंडा-ठंडा जो बिकता है,
सबको नशा लगा है,
आदत सबकी पड़ गयी,
सब पेय पदार्थ असमर्थ हुए,
सॉफ्ट ड्रिंक सब एक हुए ।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।