Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2017 · 1 min read

गरीब बेरोजगार

गरीब बेरोजगार

मेरे घर में तीन आंखें
तीनों निस्तेज, भावना रहित
आशा बदली निराशा में
तीनों चुपचाप
टकटकी लगाए
इंतजार में हैं
शायद किसी के
मां की आंखें
छितरी, मिट्टी की भांति
छितर-छितर रह जाती हैं
हल्की-सी हवा भी
आंधी-सी नजर आती है
शैलाब फुट पड़ता है
बहने लगती है
अरमानों की नदी
रोक कर भी
नही रोक पाती
इनमें ऐसी बाढ़ है आती
यह देख फिर
पिता की आंखें
बालू के अरबों कण बन
लगते हैं इधर-उधर भटकने
ऐसे में रास्ता भूल
होने लगती है वर्षा
हृदय भी जाता है भर
कुंभला जाता है कंठ
बोले ! तो बोला नही जाता
आंखों से बहने वाली नदी
आती है तीसरी आंख में
ये सभी तो हो रहा है
उस गरीब की आंखों में
जो अनेक अरमान संजोकर
बढ़ता है, पढ़ाता है।
गरीब ! अपनी संतान पर
फिर जीवन भर की
सारी पूंजी लुटा देता है
फिर बेरोजगारी ओर रिश्वत
तोड़ देती है कमर उसकी
निस्तेज आंखों से
फुट पड़ते हैं
सभी अरमान एक साथ
इकट्ठे हो उमड़ पड़ते हैं

Language: Hindi
274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"स्वार्थी रिश्ते"
Ekta chitrangini
।। मति बदली , जीवन बदला ।।
।। मति बदली , जीवन बदला ।।
पूर्वार्थ
ये रब की बनाई हुई नेमतें
ये रब की बनाई हुई नेमतें
Shweta Soni
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#विषय नैतिकता
#विषय नैतिकता
Radheshyam Khatik
■ अटल सत्य...
■ अटल सत्य...
*प्रणय*
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
घायल मेरा प्यार....!
घायल मेरा प्यार....!
singh kunwar sarvendra vikram
बे’क़रारी से राब्ता रख कर ,
बे’क़रारी से राब्ता रख कर ,
Dr fauzia Naseem shad
*सेब (बाल कविता)*
*सेब (बाल कविता)*
Ravi Prakash
इश्क़ छुपता नही
इश्क़ छुपता नही
Surinder blackpen
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव
सुन लो प्रिय अब किसी से प्यार न होगा।/लवकुश यादव "अजल"
लवकुश यादव "अज़ल"
कभी परिश्रम का मत करो दिखावा।
कभी परिश्रम का मत करो दिखावा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
बड़ी मुद्दतों के बाद
बड़ी मुद्दतों के बाद
VINOD CHAUHAN
जिंदगी
जिंदगी
अखिलेश 'अखिल'
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
"डार्विन ने लिखा था"
Dr. Kishan tandon kranti
झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
झूठों की मंडी लगी, झूठ बिके दिन-रात।
Arvind trivedi
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
ज़माने ने मुझसे ज़रूर कहा है मोहब्बत करो,
ज़माने ने मुझसे ज़रूर कहा है मोहब्बत करो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं स्त्री हूं भारत की।
मैं स्त्री हूं भारत की।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण यह भी है की यह पर पूरी
भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण यह भी है की यह पर पूरी
Rj Anand Prajapati
जिंदगी का फ़लसफ़ा
जिंदगी का फ़लसफ़ा
मनोज कर्ण
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
Loading...