गरीबों पे निशाने
मुहब्बत में वो आजमाने लगे।
कि पाने में जिनको ज़माने लगे।।
कभी अजनबी बन सफर में मिले।
कि देखो वही दिल पे छाने लगे।।
खबर मौत की सबको शायद हुई।
तभी तो सभी आने-जाने लगे।।
चुनावी समर में जो कूदे सभी।
गरीबों पे उनके निशाने लगे।।
खबर जो हुई बेटी के आने की।
ये जालिम कोख को ही मिटाने लगे।।
हक़ीक़त से जब भी पड़ा वासता।
मिटे ख्वाब जो भी सुहाने लगे।।
कि धरती मिली आज अम्बर से यूँ।
सभी राग बस गुनगुनाने लगे।।
लिखे तेरे हाथों सभी खत मुझे।
देखो आज कैसे चिढ़ाने लगे।।
निगाहों से नजरों से वादे जो थे।
कि राहों में दिल को बिछाने लगे।।
आरती लोहनी