गरीबी
मोहताज जिंदगी बड़ी दुखद होती है। गरीबी अभिश्राप सी है,जीवन के लिए।
दयनीय जीवन संघर्ष हरेक पल ।
ढोते हैं जिंदगी लाचार बोझ की तरह । आहत करती है गरीबी। तन-मन-जीवन बोझिल, जीवन बेहाल -फटेहाल करती है गरीबी। आहत करती है गरीबी।