गरीबी
शीर्षक – गरीबी
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हम सब को मालूम गरीबी होती हैं।
धन शोहरत और हम सभी होते हैं।
जिंदगी गुज़र बसर करते गरीबी है।
बस हमारे साथ धन संपत्ति नहीं है।
गरीबी न कोई रास्ता कर्म अपना हैं।
कुदरत और प्रकृति के साथ हम हैं।
भाग्य पुरुषार्थ गरीबी दूर करता हैं।
आज नहीं कल बरसों में भी हम हैं।
सच और सोच हमारी अपनी होती हैं।
गरीबी बस हमारे जीवन कर्म फल हैं।
किस्मत के बदलते देर नहीं लगती हैं।
हां हमारे साथ मेहनत का नाम होता हैं।
गरीबी सच हमारी सोच और समझ होती हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र