**गरीबी हूं मै – करीबी मेरा कोई नहीं **
पीड़ा मन की किसको बताऊं सुनने वाला कोई नहीं।
न चूल्हा जला न खाना मिला,आंख मेरे लिए कोई रोई नहीं।।
गरीबी हूं मैं करीबी मेरा कोई नहीं।।
भूख के मारे कई दिनों तक, मै नींद भर तक सोई नहीं।
दशा मैंने सबकोअपनी बताई,रो रो के पीड़ा भी गाई।
मस्त रहे सब अपनी धुन ,आया पास मेरे तो कोई नहीं।।
बनाओ न इतनी मुझ से दूरी ,आ जाएं कब किसमे मज़बूरी।
एक सा कहां समय है रहता,समय से बढ़कर कोई नहीं।।
दिलअनुनय गरीब का भी धड़कता है,बीच हमारे वो तडफता है।
चलो संबल बने उसका,आप हम में से कोई न कोई।।
राजेश व्यास अनुनय