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4 Oct 2021 · 1 min read

गरीबी – परिभाषित

गरीबी‚
आसमान से बड़ा
है अभिशाप।
बिकाऊ
क्योंकि सबकुछ
आदमी से देवता तक।
देवता दे वर
दक्षिणा के बाद।
पशुओं के सामाजिक
संरचना में
कहीं नहीं है
गरीबी
क्योंकि सभ्यता उनकी
है परिपक्व
जरूरत भर की सभ्यता।
————————–

Language: Hindi
194 Views
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