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9 Apr 2017 · 1 min read

“गरीबी और बचपन”

“संतोष तिवारी की कलम से”
वो चैन से सोए धरती पर
हम मख़मल पर भी सो न सके
वो खुश थे खेल के सड़कों पर
हम पार्क में भी न खेल सके
बिन चप्पल तपती धूप में भी
वो पैदल चलना सीख गए
हम लेकर के महंगी कारें
ट्रैफिक में पसीने से भीग गए
कुछ फटे पुराने कपड़ो में
वो जीवन जीना सीख गए
और
मॉल मार्केट वाले हमें
फैशन के हवाले लूट गए।

संतोष तिवारी
7784048336

Language: Hindi
486 Views
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