गरिमा
जिनको अपनी गरिमा प्यारी,
वही तो बस महान हैं।
तुच्छ कर्मों को कहाँ,
जग में मिला सम्मान है।
सच्चे कर्म से गरिमा बढ़ती,
जगत में मिलता मान।
गाँव समाज देश में भी,
बढ़ता रहता है आन।
दया मित्रता भाईचारा ,
जो हरदम अपनाता है।
वो हर पल हर जगह,
गरिमा को ही पता है।
जिसके दिल में दर्द पले,
औरों के गम देखकर।
गरिमा उसको प्यार करती,
दुनिया में नूर फेंक कर।
कभी निम्न कर्म करके,
नहीं बना कोई पुरुषोत्तम।
गरिमा उसको ही मिलती है,
कार्य जिनके होते उत्तम।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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