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18 Dec 2018 · 1 min read

गम

चाँद रात भर चलता रहा
निशा को हिम्मत दिलाता रहा
साथ हूँ तेरे
अकेला न समझ मेरे साथी

निशा ने इन्सान से कहा
मैं बनाई ही गयी हूँ इसलिए
अगले दिन नयी ऊर्जा नयी उमंग से
तू फिर फतह कर किले को

निशा हर गम को दिल के
आले में जगह दे देती है
तभी तो
गमगीन दिल आंसू भी अपने में
छिपा लेता है

अब क्या बयां करूँ
ऐ निशा तेरे हाल ऐ दर्द
रात के गुनाह देख कर
तू झटपटा तो जाती है
पर आदत से मजबूर
अंधेरे को अंधेरा
ही रहने देती
किसी की आबरू की खातिर

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
222 Views
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