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3 Oct 2024 · 1 min read

#गम ही मेरा साया

#नमन मंच
#रचनाकार राधेश्याम खटीक
#विषय गम ही मेरा साया है
दिनांक ०३/१०/२०२४
#विद्या गीत

मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !
मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !
कोई अपना नहीं गम ही मेरा साया है,
मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !

मन उलझा रहा सपने सजाने में,
हम बहकें उनकी लुभानी बातों में !
कोई अपना नहीं गम ही मेरा साया है,
मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !

सांसे चलती उनका भला चाहने में,
बेरहम निर्दयी कदर न कर पाया है !
कोई अपना नहीं गम ही मेरा साया है,
मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !

कोई सितारा टूटकर आंचल में आया है,
शायद बदनसीबी पर प्यार उसे आया है !
कोई अपना नहीं गम ही मेरा साया है,
मेरे अपनों ने इतना मुझे रुलाया है !

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक

Language: Hindi
14 Views
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