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28 Nov 2019 · 1 min read

गम ए जिंदगी जुदाई है

गम ए जिंदगी जुदाई है
दर्द बहुत देती तन्हाई है

गम सागर होता है गहरा
ना मिलता तट,गहराई है

अंजाम मोहब्बत जुदाई
मिलती केवल तन्हाई है

फूल तो होते हैं खुश्बूदार
कांटों को मिले रूखाई है

दिल शीशे सा है नाजुक
टूटने की आवाज़ आई है

जीवन राहें होती मुश्किल
पथिकों ने रौनक लगाई है

यकीन नहीं होता खुद पर
यकीं पर दुनिया टिकाई है

लोग आते हैं चले जाते हैं
गमनागमन रीत चलाई है

प्रेम डगर होती है कठिन
कब ये डगर डगमगाई है

जिंदगी होती है प्रतिबंधित
फिर होती यहाँ रिहाई है

टूटते हैं यहाँ पर दिल बहुत
धड़कन तो चलती आई है

गम ए जिंदगी जुदाई है
दर्द बहुत देती तन्हाई है

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1 Like · 246 Views
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