गमों का बोझ लेकर के
दिल में लेकर के बोझ,
वह जीता है इस दुनिया में,
कहता नहीं किसी से,
ढ़ोता हर रोज की यादें ।
गम जो उसने सहे है,
अपने गम के दर्द से भरा हुआ,
चेहरे की उसकी उदासी,
खुशियाँ उसकी लूट ले गयी ।
खुद को भुलाया गमों में,
गम से प्रीत लगाया जिसके ,
जगाया नहीं खुद को नींद से
गमों का महफ़िल सपनो में भी सजाया है।
अनजान नहीं था प्यार उसका,
हर पल को लुटाया उसने,
आँखे बिछा दी नींदों को खो कर,
यादों में सारी रात बिताया है।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।