गमक उठीं कुसुम कलिकाओं में, बसंत ठहरा है
गमक उठीं कुसुम कलिकाओं में, बसंत ठहरा है
रग रग में आह्लाद , उल्लास बहुत गहरा है
नव उमंग नव स्फूर्ति, सौंदर्य बोध छाया है
मन पुलकित है सजल भाव में, कामनाएं लाया है
आत्म ज्योति प्रकाशित करने,नव प्रभात लाया है
जागे सास्वत प्रेम, संदेश बसंत लाया है
छोड़ो अब जाड़े की जड़ता,धूप गुनगुनी लाया है
अंतस का अज्ञान हटाने, उपहार प्रेम के लाया है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी