गन्ना के खेत मे लुड़क चका हो रये
हमाये एक्सीडेंट की बात
बा देवे आ रई थी, मे लेबे जा रओ
बीचई मे देख खै, बाँखो रम्हा रओ
देख के हाल हम दोई सन्ना गये
भवरा के जैसे हम दोई मन्ना गये
गेलई मे दोई जने गुड़ी मुड़ी होरये
गन्ना के खेतईमे लुडक चका होरये
कउ ऊपर कउ दोई जने हो रये
धीरे धीरे होले से गलुआ टटो रये
वा हम से बोली का जल्दी से मारो
चाय बैठे चाय ठाडे नोने से डारो
आ गये कउ पीछे से लेके पनहाइयाँ
तुमरी उतर जेहै सुंदर मुनईया
हो रओ काम पूरो टपक पसीना
घुटघुट जी र ओ है कृष्णा कमीना
✍कृष्णकांत गुर्जर