गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
देश प्रेम का जज्बा नहीं
इंसान नहीं है वह
जिसके दिल में इंसानियत नहीं
व्यर्थ जी रहा है वह
जिसको खुदा पर एतबार नहीं
वह जीना भी क्या जीना
जहां माँ – बाप से लगाव नहीं
ख्वाहिशों के समंदर में
कहीं खो न जाना तुम
कहीं गुमराह को
खुद को न लजाना तुम
चाहतों के दरिया का
कोई छोर नहीं होता
बेवजह चाहतों के समंदर में
कहीं गुम हो न जाना तुम
अजनबियों से यूं ही
दिल न लगाना तुम
किसी अजनबी को अपना
यूं ही न बनाना तुम
अजब किस्सों से रोज ही
रूबरू हो रहे हैं हम लोग
किसी की मीठी – मीठी बातों में
फंस न जाना तुम
अफसाना न हो जाए जिन्दगी
कुछ ऐसा कर दिखाना तुम
अफ़सोस न हो तुमको
ऐसा कुछ कर दिखाना तुम
अरमानों की चाह में
खुद को न भटकाना तुम
आगोश उस खुदा की नसीब हो
ऐसा कुछ कर दिखाना तुम
गद्दार है वह जिसके दिल में
देश प्रेम का जज्बा नहीं
इंसान नहीं है वह
जिसके दिल में इंसानियत नहीं