गणेश वंदना
बल,बुद्धि,विवेक के तुम ही दाता!
मंगलमुर्ति हो मंगल कार्य विधाता!!
शिव-गौरा सुत, लम्बोदर सुखदाई,
मात-पितृ प्रदक्शिणा तुम्है लुभाता!!
किए पराजित कार्तिकेय विवेक से,
प्रथम पूज्य पद तुम्है सदा दिलाता!!
बल,बुद्धि,विवेक के तुम ही दाता!
मंगलमुर्ति हो मंगल कार्य विधाता!!
शिव-गौरा सुत, लम्बोदर सुखदाई,
मात-पितृ प्रदक्शिणा तुम्है लुभाता!!
किए पराजित कार्तिकेय विवेक से,
प्रथम पूज्य पद तुम्है सदा दिलाता!!