गणपति बाप्पा……
गणपति बाप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया,
देवों में देव हमारे, दुःख संताप मिटाते हमारे,
तुम हो हमारे हरिद्र गणाध्यक्ष ।।
पार्वती का लाडला बालगणपति, भोलेनाथ का रुद्रप्रिय,
लाज रखी इस नन्दन ने, ना जाने दिया वार खाली परशुराम का,
ईशानपुत्र का एकदन्त कहूँ या कहूँ उमापुत्र का भुवनपति तुझे ।।
गजवक्त्र को मिला अग्रपूज्य होने का वरदान,
लम्बकर्ण, लम्बोदर सिद्दिविनायक को प्रिय है मूषकवाहन,
उस यशस्विन को लगे भोग मोदक का ।।
है बुद्धिविधाता चतुर्भुज,
रिद्धि सिद्धि का हैं दाता,
हे ! वक्रतुंड तू तो है अतुलनीय प्रभु ।।
दया दृष्टि के दूत, जग के पालनहार हो तुम,
शाश्वत आनंद के दाता हो तुम,
पहचान है तेरी शुभगुणकानन से ।।
वेदों के मंत्रों के अधिपति हो तुम,
नाश होता चित्त की पांचों अवस्थाओं का,
जाना तुझे ब्रह्मणस्पति और चिंतामणि से,
गौरीसूत मोरया, विघ्नविनाशक मोरया,
कृष्णपिंगाक्ष मोरया, विद्यावारिधि मोरया,
गणपति बाप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया ।।