गणपति आराधना
आया हूं में आज शरण में तेरी
संग आया है मेरे, मेरा सहोदर
है पूरा भरोसा तुझपर ही मुझको
भक्तों का रक्षक है मेरा लंबोदर।।
विघ्न भक्तों के करो दूर
हो न उनको कोई दुःख
तुमसे विनती है इतनी
सुन लो तुम ए मेरे सुमुख।।
तुम हो हम सबके पालनकर्ता
हो जाए धन्य सब छूकर तेरे चरण
अब तो सुन ले पुकार मेरी तू
दयानिधान, सुन ले मेरे गजकर्ण।।
तुम हो भक्तों के उजाले
हो दुनिया के पहले संत
कर दो भक्तों का पार
तुम आज बेड़ा एकदंत।।
हर देते है मेरे धूम्रकेतु उसको
समस्या हो जितनी भी विकट
आसरा रहता है मुझको तेरा
दया रखना मुझपर ओ विकट।।
दूर करते हो मुश्किलें
हो वो जितनी जटिल
आज दे दो दर्शन हमें
अर्ज़ सुनलो कपिल।।
तेरी भक्ति में डूबे है हम भक्त
तेरे दरपे है आए बनकर याचक
मिटा दो बाधाएं जीवन से हमारे
सुनलो प्रार्थना हे विघ्नविनाशक।।
तेरी भक्ति है जीवन, तू
हमारे जीवन का नायक
सदा रखना कृपा अपनी
हम पर हमारे विनायक।।
गणों के पूजन में गणाध्यक्ष हो तुम
पूजते है तुझको सूर्य हो या चंद्र
तुमसे ही है आस हमको गजानन
रक्षा करो हमसब की हे भालचंद्र।।