गणतंत्र दिवस, 2020 के अवसर पर विशेष कवरेज…
सम्भल जिले की प्रतिभाएँ, जिनसे ले सकते हैं प्रेरणा…
सम्भल। ‘कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।’ प्रसिद्ध कवि, शायर, लेखक दुष्यंत कुमार का यह शेर आज इन युवाओं पर खरा उतरता नजर आता है। हिंदी बालसाहित्य के क्षेत्र में नया कर गुजरने का जज्बा है इन युवाओं में। अपनी मेहनत के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर युवाओं की प्रेरणा बनकर बच्चों को नई दिशा दिखाने का काम सम्भल जिले की यह प्रतिभाएँ कर रही हैं। इनसे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। अधिकतर युवा अपना कैरियर आईएएस, पीसीएस, पुलिस, रेल अथवा अन्य सेवाओं को चुनते हैं लेकिन इन्होंने साहित्य और उच्च शिक्षा चुनकर नई नज़ीर प्रस्तुत की है।
आइए, आपको नवसृजित सम्भल जिले की कुछ प्रतिभाओं से मिलवाते हैं जिन्होंने ना केवल युवाओं को मार्ग दिखाया है, बल्कि जिले का नाम भी रोशन किया है।
पहला नाम है-
नाम- सतीश कुमार अल्लीपुरी
पिता का नाम- श्री सूरजपाल सिंह
पता- ग्राम अल्लीपुर बुजुर्ग, तह. चंदौसी, जिला सम्भल (उ.प्र.)
मो. – 8076031708
गुन्नौर के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक।
रुचि- साहित्य और समाज सेवा
लेखन प्रारम्भ : वर्ष 2002 से
लेखन : विशेषकर बालसाहित्य। बाल रचनाएँ- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 350 से अधिक कविता, कहानियां, लेख, ललित निबंध आदि प्रकाशित।
आकांक्षा : बालसाहित्य में बच्चों के लिए कुछ उत्कृट लेखन करना। बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए कुछ विशेष रचनाएँ लिखना। इनका मानना है कि ग्रामीण बच्चे अधिक से अधिक पढ़ें। इस दिशा में वे हमेशा प्रयासरत रहते हैं। गाँव-गाँव जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
दूसरा नाम है-
नाम- उमेशचन्द्र सिरसवारी
पिता- श्री प्रेमपाल सिंह
पता- ग्रा. आटा, पो. मौलागढ़, तह. चन्दौसी, जि. सम्भल (उ.प्र.)
मो. 9720899620
शिक्षा- एम.ए. हिंदी, एम.ए. संस्कृत, नेट जेआरएफ, एसआरएफ,
हिंदी, पी-एच.डी. हिंदी (AMU)
संप्रति- सहायक संपादक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा।
रुचि- साहित्य और समाज सेवा।
उच्च शिक्षा में प्रोफेसर बनकर हिंदी साहित्य की सेवा करना।
सम्मान – उत्तर प्रदेश सरकार के उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा ‘आचार्य कृष्ण विनायक फड़के बालसाहित्य समीक्षा सम्मान वर्ष 2018’ से सम्मानित।
लेखन- वर्ष 2006 से लेखन जारी। देशभर की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में बाल कहानी, कविताएं, आलेख, शोध आलेख आदि प्रकाशित।
आकांक्षा : बच्चों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता से जोड़ना। उन्हें बालसाहित्य उपलब्ध कराना और उनके अंदर बालसाहित्य की समझ विकसित करना इनका प्रमुख उद्देश्य है। बच्चों को बाल पत्रिकाओं से जोड़ना और टीवी, इंटरनेट आदि के दुष्परिणामों से अवगत कराना।
तीसरा नाम है-
नाम- रविन्द्र सिंह
पिता- श्री निरंजन सिंह
ग्राम व पोस्ट- असमोली, मोहल्ला होलीवाला, तहसील सम्भल, जिला सम्भल (उ.प्र.)
मो.- 8430028575
शिक्षा- एम. ए. हिंदी (जे. एस. पीजी कॉलेज, अमरोहा)
पी-एच.डी.- हिंदी विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।
विषय- त्रिलोचन के काव्य में व्यक्त जीवन-मूल्य
शोध निर्देशक- प्रो. मोहम्मद आशिक अली
आकांक्षा : उच्च शिक्षा में प्रोफेसर बनकर छात्रों को साहित्य से जोड़ना, उन्हें भारतीय साहित्य से रूबरू कराना इनका उद्देश्य है। भारतीय और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनको जाग्रत करना है।
चौथा नाम है-
नाम- अनुज पाल
पिता- श्री भूपसिंह
पता – ग्राम आटा, पोस्ट मौलागढ़, तह. चंदौसी, सम्भल (उ.प्र.)
मो. – 9720454864
शिक्षा- एम.ए. हिंदी (ऑनर्स, अध्ययनरत),
हिंदी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी।
वर्तमान में हिंदी से नेट की तैयारी में संलग्न। भविष्य में हिंदी में पी-एच.डी. कर उच्च शिक्षा में अध्यापन करना। बुंदेलखंड के हिंदी विभाग से एक पत्रिका के संपादन में संलग्न।
आकांक्षा : हिंदी साहित्य की सेवा करना। बच्चों को बालसाहित्य उपलब्ध कराना। अपने गांव में बच्चों के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना करना अनुज पाल का मुख्य उद्देश्य है।
©
प्रस्तुति : उमेशचन्द्र सिरसवारी