गड़बड़ी रे गड़बड़ी l
गड़बड़ी रे गड़बड़ी l
प्यास सहज बड़ी बड़ी ll
रुकी रुकी खड़ी खड़ी l
हालत बिगड़ी बिगड़ी ll
सोच ओ शंकोच है l
चिंताएं पड़ी पड़ी ll
मौका खोये खोये l
समय पर न लड़ी लडी ll
प्रीत नदारद रहे l
जड़ से उखड़ी उखड़ी ll
प्यास से नहीं झगड़ी l
सच्चाई ना तगड़ी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”