गज़ल
एक गज़ल
मुहब्बत है तुमसे तुम को हम दिलदार कहते हैं ,
इश्क मुकम्मल हो हमारा हमारे यार कहते हैं।
आंखों में सजते अनगिनत ख्वाब इश्क के नाम ,
ज़माने की नज़र ना लगे हम यही बार कहते हैं ।
मीठा सा अनुबंध प्रेम का ,बंध विचारों का अलबेला,
हौले हौले,से डूब जाना तुम में इसे ही प्यार कहते हैं।
सजना संवरना शरमाना उपक्रमों की लडी हजार,
समा जाए उस शख्स के अंदर उसे संसार कहते हैं।
बासंती पुरवाई में कामदेव का यूँ तीर चलाना ,
पलकें झुक जाऐ शरम से उसे तीर का वार कहते हैं।
सुर्ख लाल रंग का लालित्यपूर्ण वातावरण चहुँओर,
पल्लू से चेहरे को छिपाना उसे ही श्रृंगार कहते हैं।
हर रंग में”राज’ की खुबसूरती नया साज सजाती,
नूर बरसता है मेरी हर अदा में ये सरकार कहते हैं ।।
डा राजमती पोखरना सुराना