गज़ल
तुम जो मेरे यहाँ ही अगर हो ,
जिंदगी की रात की तो,सहर हो।
यूँ न मंजिलें तन्हा को मिलती
प्यार की जो ना राह गुज़र हो।
अेक मन में याद झूमें आपकी,
ओर बातों का न मुझे असर हो।
आपको ही देखना है सामने,
दिलकश ना ओर जाने- मंज़र हो।
दिल की दीवार पर जो लिख दी,
आप से मिली कभी वो नज़र हो ।
-मनिषा जोबन देसाई