“गज़ल”
दिल भी..जान भी..जहां भी तेरा..
सौदा कच्चा नही नही है…
यु तेरा उदास रहना.. अच्छा नही है..
चाहू तो नाम तुझको भी देदू चाँद का…
मगर तेरे हुस्न मे दाग बताना..अच्छा नही है..
………………
मुकर जाए जो जूबां से अपनी..
वो शक्स सच्चा नही है..
किसी और से तेरा दिल लगा लेना..
अच्छा नही है..
यु तो लडी है निगाहो की मैने भी कई जंगे…
पर बिन नज़र मिलाए दिल मे ऊतर जाना..
अच्छा नही है..
…………………
मेरा नज़र मिलाना..तेरा छुप जाना..
अच्छा नही है..
इस तरफ मेरे दिल को जलाना..
अच्छा नही है..
चाहु तो पलभर मे भूला दू तुझको..
पर यु मेरा बे-वफा हो जाना अच्छा नही है…
(ज़ैद बलियावी)