Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2017 · 1 min read

गज़ल

फ़िलबदीह -११९
तारिख़-२१/५/१७
मिसरा-इल्म उसका घटा नहीं सकता।
क़ाफ़िया-आ
रद़ीफ़-नहीं सकता।

गिरह-इस क़दर है खफा माशूका मेरी,
इल्म उसका मैं घटा नहीं सकता।

१)
रोज़ ही मिलतें हैं दो दिल इश्क में छिपके,
कोई भी सिलसिला ये छुड़ा नहीं सकता।
२)
हुस्न है तेरा, या दमक है सूरज की
तुझको कोई दीया दिखा नहीं सकता।
३)
इश्क में ग़र वफ़ा हो इकतरफा
खुदा भी उसको निभा नहीं सकता।
४)
माहताब चाहता है महबूब चकौर
चांद को पर वो पा नहीं सकता।
५)
प्यार का हासिल इस ज़माने में
हिसाब-ए-चाहत,लगा नहीं सकता।
६)
पोंछ दूं आ मैं अश्क तेरे नीलम
द़ाग पर दिल के मिटा नहीं सकता।

नीलम शर्मा

225 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
Neelam Sharma
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
जन कल्याण कारिणी
जन कल्याण कारिणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*** होली को होली रहने दो ***
*** होली को होली रहने दो ***
Chunnu Lal Gupta
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Sukoon
यकीन
यकीन
Sidhartha Mishra
"सुबह की चाय"
Pushpraj Anant
উত্তর দাও পাহাড়
উত্তর দাও পাহাড়
Arghyadeep Chakraborty
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
अब मेरी मजबूरी देखो
अब मेरी मजबूरी देखो
VINOD CHAUHAN
"चाँद चलता रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
ये जो मुस्कराहट का,लिबास पहना है मैंने.
ये जो मुस्कराहट का,लिबास पहना है मैंने.
शेखर सिंह
वो बातें
वो बातें
Shyam Sundar Subramanian
संज्ञा
संज्ञा
पंकज कुमार कर्ण
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
संतोष बरमैया जय
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
Sarfaraz Ahmed Aasee
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री
Mukesh Kumar Sonkar
आज भी
आज भी
Dr fauzia Naseem shad
सुकून
सुकून
Er. Sanjay Shrivastava
भूख
भूख
Neeraj Agarwal
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
Sanjay ' शून्य'
खुद पर यकीन,
खुद पर यकीन,
manjula chauhan
*मतदाता को चाहिए, दे सशक्त सरकार (कुंडलिया)*
*मतदाता को चाहिए, दे सशक्त सरकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
We all have our own unique paths,
We all have our own unique paths,
पूर्वार्थ
3195.*पूर्णिका*
3195.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...