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7 Jun 2019 · 1 min read

गजल

यूं तो घर घर एक परी रहती है
आज वो हालात से डरी रहती है
जो दिल लगाने की खता करते हैं
उनकी आंखे अश्कों से भरी रहती हैं
रोते रोते अक्सर सूख जाते हैं आंसू
मगर गम की डाली हरी रहती है
किसी को दो गज जमीन नहीं मिलती
किसी के कफन में जरी रहती है
हर हाल में ससुराल में खुश
पापा की परी रहती है

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