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5 Jan 2019 · 1 min read

गजल

ग़ज़ल

जश्न-ए-महफ़िल सज़ा कर तो देखो
खुशी का माहौल बनाकर तो देखो।

हमारी जिंदगी में ग़म बहुत हैं यारो
जीवन में ग़मो को भुलाकर तो देखो।

सूख जाते हैं कभी अश्क इन आँखों से
पलकों से अश्कों को गिराकर तो देखो।

गलतफहमी के चलते रिश्ते टूट जाते हैं
अपनत्व मिलेगा हाथ बढ़ाकर तो देखो।

नाराज हो जाये कभी अपनों से अगर
प्यार से रूठे दिल मनाकर तो देखो।

मन हलका हो जाता है कभी–कभी
परेशानी अपनों को बताकर तो देखो।

शायद कुछ मन को शांति मिल जाये
मन्दिर-मज़ारे जरा जाकर तो देखो।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

3 Likes · 1 Comment · 276 Views
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