गजल
लोग जब अपने जख्म देते हैं।
गैर भी पीर को हर लेते हैं।।
प्यार दुनियां में कम नहीं लेकिन,
कश्ती गम की हमेशा खेते हैं।।
फूल दामन में शूल रखते हैं,
धोखा देकर के जख्म देते हैं।।
अब मोहब्बत की बात मत करना,
जुल्म नश्तर सा दर्द देते हैं।।
अब तो आ जाओ रात ढलने लगी,
अंधेरे डर को बढ़ा देते हैं।।
ख्वाब सारे बिखर गये देखो,
“आस” को अपनी छोड़ देते हैं।।
कौशल कुमार पाण्डेय “आस”