“गजल”
“गजल”
मौन जब इस शोर को दमखम दिखा के जाएगा
देख लेना उस समय फिर काफिला रह जाएगा
आप के रहमो करम पर रुक नही सकता दीवाना
बोलने का शौक किसको साहिबा रह जाएगा।।
भूलकर जज्बात को मत रोकना चिग्घाड़कर
गर मुड़ा अपनी जगह फिर आइना रह जाएगा।।
करकसी आवाज है तकते अपने महल आना
शेष क्या मिलता भला निज खंडरा रह जाएगा।।
क्यों बना डाला ऊँचाई पर मकाँ पूछा किससे
राह में रोड़ा बहुत चढ़ हाँफता रह जाएगा।।
शेर सी दाहाड हो तो मोह लेती जाने मन
सुन यहाँ बस मेमने का चीखना रह जाएगा।।
मान जा “गौतम” गरजता है नहीं बस बरसता
हो सके तो जा यहाँ से मापता रह जाएगा।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी