गजल
बाँध लेता प्यार सबको देश से
द्वेष से तो जंग का आसार है
लांघ सीमा भंग करते शांति जो
नफरतों से वो जले अंगार है
होड़ ताकत को दिखाने की मची
इसलिये ही पास सब हथियार है
सोच तुझको जब खुदा ने क्यों गढ़ा
पास उसके खास ही औजार है
जिन्दगी तेरी महक ऐसे गयी
जो तराशी तू किसी किरदार ने
शाम होते लौट घर को आ चला
बस यहाँ पर साथ ही में सार है
हे मधुप बहला मुझे तू रोज यूँ
इस कली पर जो मुहब्बत हार है