गजल
मीठी यादों को फिर पिरोने से ।
सुख छलकता है दिल के कोने से ।
प्यार भरा आंचल ही बेहतर है,
किसी मखमली बिछौने से ।
नीम का चेहरा भी शहद होता है ,
आसपास तितलियों के होने से ।
जिसके सर पर छांव दुआ की है ,
कुछ न बिगड़ता जादू -टोने से ।
फर्क खुशियों को कुछ नहीं पड़ता,
ढेर दौलत का संग न होने से ।
फल को देखकर मलाल क्यों करना ,
वो तय हो जाता है बीज बोने से ।