गजल
मिस्ल-ए-चराग़ जलकर किसने ग़ज़ल कही है।
हर शेअ़र है मुनव्वर किसने ग़ज़ल कही है।
मोती बिखेर डाले लफ़्ज़ों के वर्क़े गुल पर।
यह कौन है सुख़नवर किसने ग़ज़ल कही है।
तअ़रीफ़े अपनी सुनकर शरमा के बोले दिलबर।
इतनी ह़सीन हम पर किसने ग़ज़ल कही है।
फूलों की बात क्या है यह कहके हँस पड़े सब।
देते हैं दाद पत्थर किसने ग़ज़ल कही है।
बुलबुल के साथ गुल भी गाते हैं गुल्सिताँ में।
वल्लाह इतनी सुन्दर किसने ग़ज़ल कही है।
हमने कही है जिनकी ख़ातिर पता है उनको।
पूछें हैं फिर भी अकसर किसने ग़ज़ल कही है।
वो पूछते हैं हम से सुनकर ग़ज़ल हमारी।
करती है दिल को मुज़तर किसने ग़ज़ल कही है।
गर तुम नहीं थे वो तो फिर कौन था बताओ।
शब भर फ़राज़ छत पर किसने ग़ज़ल कही है।
शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर