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12 Dec 2020 · 1 min read

गजल

अब दिखे प्रीत बागबान में क्या
यह मिले भाव किस दुकान में क्या

घाव इतने गहन हमें ज़ो मिले
दर्द मेरा हुआ बयान में क्या

ख्याव सारे संवार लूँ तेरे
जो सजा कर रखूँ मचान में क्या

बावला दिल तुझे पुकारे जब
तू छिपा है कहाँ मकान में क्या

इश्क का जब जुआर चढता है
शेष बचता है तूफान में क्या

74 Likes · 6 Comments · 372 Views
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