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22 Apr 2020 · 1 min read

गजल

उदधि बिन लहर का गुजारा नहीं था
मगर बिन मिलन भी पियारा नहीं था

सहे अनगिनत जख्म जब इश्क म़ें वे
बना जो बंधन कब करारा नहीं था

जवां हो चली रोज उनकी मुहब्बत
हुआ कोन सा मोहक इशारा नहीं था

करे आलिंगन उठ लहर गिर अधोगति
बहुत प्रेम से खुद को वारा नहीं था

सुर लहरियों सी मिले साँस नित ही
बचा अब हमारा तुम्हारा नहीं था

बसी था सुरम्ये तटे जो जहाँ यह
मिला था न दूसरा किनारा नहीं था

Language: Hindi
76 Likes · 1 Comment · 359 Views
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