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12 Apr 2017 · 1 min read

??◆व्यवहार ऐसा हो◆??

अपने लिए चाहो,औरों से वैसे करना।
देख मुस्क़राएँ तुझे,व्यवहार ऐसे करना।।

तारीफ़ चारों दिशा से मिलेगी तब तुझे।
प्रेम की बहारों से,फूलों जैसे खिलना।।

चर्चे गली,मुहल्ले क्या दुनिया में होंगे।
दे मन की रोशनी,सूरज जैसे चमकना।।

विपरीत हवाओं के चले वही सुर्ख़ियों में।
दिल में गाँठ बाँध,कमल जैसे दिखना।

पर्वत-सा उठना पर्वत न बनना कभी।
यश हासिल कर,फलवृक्ष जैसे झुकना।।

ज़रूरतमंद की सेवा गर हो जाए तुमसे।
उनकी दुवाओं से फिर,स्वर्ग जैसे रहना।।

भीड़ भरोसा छोड़कर सिंह सरिस बनो।
अपने रास्ते खुद बना,वीरों जैसे चलना।।

ज्ञान से हौंसले बुलंद होते हैं समझिए।
इस वास्ते मेरे यारा,विद्यार्थी जैसे जीना।।

जो बोए सो काटे ये है जीवन की रीत।
भाग्य की खेती रे तुम,कर्म जैसे करना।।

“प्रीतम”सुंदर जीवन का सलीखा सिखाके।
सबके मन-मंदिर में,दीपक जैसे जलना।।

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***************
राधेयश्याम…बंगालिया…प्रीतम…कृत
????????????? सर्वाधिकार…सुरक्षित…गजल???

Language: Hindi
216 Views
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