गजल लिखते लिखते
ये क्या याद आया गजल लिखते लिखते
क्यूँ थम सी गई है कलम चलते चलते
सोचा था यादों में लायेंगे न उस कल को
आ ही गया वो मंजर थमते थमते
जो इक बार भूले से कदम लड़खड़ाये
बहुत वक्त बीता संभलते संभलते
दिल करता है रो लें जी भर के लेकिन
हुई खुष्क आँखें भी ये बहते बहते
ये कैसी कहानी है अपनी मोहब्बत
एक ऐसी कहानी है अपनी मोहब्बत
खत्म हुई जिन्दगानी मिलते बिछड़ते
_महेश तिवारी ‘अयन’