$दोहे
#दोहे
क़ीमत है हर चीज़ की, रख अतिउत्तम ज्ञान।
सही वक़्त दो दे बता, बंद घड़ी भी मान।।
कमियाँ खोज़े बात में, मक्खी कर पहचान।
ज़िस्म ख़ूबसूरत भुला, बैठे ज़ख्म निशान।।
पास हमारे जो रहे, नहीं कदर या मान।
दूर हुआ तो मानते, उसको बड़ा महान।।
दुख में देता साथ जो, सच्चा होता मीत।
सुख में सब साथ दें, गाएँ हँस-यश गीत।।
नीर नयन भरकर दिखे, धुँधली सुंदर चीज़।
सही नज़र से देखिये, होगी खास अज़ीज़।।
बोल बड़े मत बोलिये, समय बड़ा बलवान।
राजा को ये रंक कर, तोड़े दंभ गुमान।।
चार दिनों की ज़िंदगी, हँसकर जीना यार।
घुटकर जीना नरक सा, क़दमों नीचे ख़ार।।
भेदभाव की ज़िंदगी, मानवता की हार।
तुच्छ कर्म को देखकर, रब भी रूठे यार।।
ग़म के पीछे है ख़ुशी, रात बाद ज्यों भौर।
हँसके करना कर्म हर, बीते संकट दौर।।
दृष्टिकोण का खेल है, सुख दुख की हर बात।
स्वर्ग धरा पर देखिये, समता रखकर तात।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’