गजल तुमको देखा हमको कितने जमाने हो गए
इस शेर के साथ पेश है मेरी गजल
उलझा हुआ अब तक जो,वो सवाल है जिंदगी
कभी ख़ुशी तो कभी गम ‘की मिसाल है जिंदगी
तमन्नाओ के कहार उठा चले पालकी बहार की
तन्हाइयों का वास्ता देकर ऐसी बवाल है जिंदगी
गजल
तुमको देखे हुए हमको कितने ज़माने हो गए
कैसे फासिले तेरे मेरे अब दरम्याने हो गये
तू जलें जिंदगी भर को शमां बनकर साथी
हम तेरे आशिक जलते हुये परवाने हो गये
जिसे देखों दिल को समझाने चला आता है
दिल दिल ना हुआ हमारा पागलखाने हो गये
मेरे हमदम हमराज तुझे कहाँ आकर मैं ढूँढू
तेरे तो मन्दिर मस्जिद में आशियांने हो गये
जिंदगी भर बस एक गम सताएगा हमको
कह गए हमको वो तुम आशिक पुराने हो गये
मोहब्बत नहीं खरीद सकोगे कभी तुम मेरी
इश्क की राह हमारे कई आशिकाने हो गये
उम्र भर तड़पने की सज़ा तुमको ये अशोक
हमें भुलाने को तुम्हारे लिए ये मैखाने हो गये