गजल – न छोड़े साथ जीवन भर वो जीवन संगनी हो तुम
न छोड़े साथ जीवन भर, वो जीवन संगनी हो तुम।।
अधूरी जिंदगी तुम बिन, मेरी अर्धांगिनी हो तुम।।
सदा सुख दुःख का इक साथी, दिया मैं वो मेरी बाती।
दुःखों में जल रहा जीवन, सुखों की रोशनी हो तुम।।
कभी था बेसुरा जो मन, असुर दानव सा था ये तन।
सजा सरगम मेरा जीवन, बनी जब रागनी हो तुम।
बिना तेरे मकां मेरा, बना था खंडहर जैसा।
खिज़ा में तुम फ़िजा लाईंं, तभी तो वंदनी हो तुम।।
महकता हरसू उपवन का, सजा है कल्प का जीवन।
हूँ करवा चौथ का चँदा, उसीकी चाँदनी हो तुम।।
✍? अरविंद राजपूत कल्प
बहर- हज़ज मुसम्मन सालिम
अरकान – मुफाईलुन x4