गंगा जी पर दोहे
मलिन न गंगा जी हुईं ,धोते धोते पाप
पर उस कचरे से हुईं, फेंके हम अरु आप
पावन गंगा में करें, तन मन का स्नान
बुरे विचारों का करें, और साथ मे दान
चार धाम में एक है, माँ गंगोत्री धाम
रखना इसको स्वच्छ है, हम सबका ही काम
भवसागर से तार कर, करती मोक्ष प्रदान
भागीरथ तप से मिलीं, गंगा जी वरदान
माँ गंगा के स्नान से,कटते पाप तमाम
निशदिन करके आरती, उनको करें प्रणाम
03/06/2018
डॉ अर्चना गुप्ता