ख्वाहिशें…….
कुछ ख्वाहिशें है मेरी जिंदगी से,
जीना है हर लम्हा अपनी खुशी से,
दिल में बहुत कुछ है मेरे सब बोलना है,
मन को हल्का कर सारे राज़ खोलना है,
कभी ऊँची पहाड़ी से खुद की आवाज़ सुनना है,
कभी अपनी कल्पना में अनगिनत ख़्वाब बुनना है,
तारों की रौशनी में मुझे खुद से मिलना है,
लम्हात कैसे भी हो हर लम्हें में खिलना है,
किसी के हक़ के लिए मुझे सच के लिए लड़ना है,
सिर्फ किताबें ही नहीं किसी की मजबूरी भी पढ़ना है,
समुन्दर किनारे मीलों पैदल चलना है,
कदम डगमागाये अगर तो बस खुद से संभलना है,
माँ को साड़ी पापा को फ़ोन दिलाना है,
भाई बहन को उनकी खुशियों से मिलाना है,
प्यार भरे परिवार का एक आशियाना बनाना है,
अपनो को जोड़कर हर रिश्ता निभाना है,
एक बार पापा के गले से लग जाना है,
जी भर के उस दिन खुशी के आँसू बहाना है,
बचपन के किये वादे पे दोस्तों को घुमाना है,
अपने दम पर उन घुमककड़ो को ऐश कराना है,
अपनी शादी के लिए भी कुछ खास तमन्ना है,
उन्हें सुनहरी शेरवानी मुझे लाल जोड़ा पहनना है,
सात फेरों के सारे सातो वचन निभाना है,
हर रोज उन्हीं के हाथों से माँग अपनी भराना है,
दोनों ही परिवारों को साथ लेके बढ़ना है,
सारी ही कठिनाईओं से साथ मिलके लड़ना है,
अपनो की मुसीबत मुझे मिले उन्हें सलामत रखना है,
जग मे रहूँ या ना रहुँ सबके दिलों मे रहना है,
जाते है सब जहाँ अन्ततः मुझे वहीं जाना है,
अच्छे बुरे कर्मों का सारा हिसाब लगाना है।
✍️वैष्णवी गुप्ता (Vaishu)
कौशाम्बी