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15 Jan 2022 · 1 min read

ख्वाहिशें बेल बनकर

रात को
सपने जागते हैं
अरमान सोते हैं
कभी कभी
सपने सोते हैं
अरमान जाग जाते हैं
ख्वाहिशें बेल बनकर
एक उम्मीदों की शाखाओं से
भरे
पेड़ के सीधे
आसमान छूते तने पर
ऐसे चढ़ती हैं जैसे कि
कसम खा ली हो कि
कभी नीचे उतरेंगी ही नहीं और
जमीन की तरफ अपनी
नजरें झुकाकर देखेंगी ही नहीं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 201 Views
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