ख्वाब
***** रमणीय ख्वाब *****
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हम तुम्हे दिल में ही बसा लेते,
अगर तुम रमणीय ख्याब होते।
हम कभी पीते मय को नहीं हैं,
हम नशीले नैनों में नवाब होते।
तुम्हें आँखों से गुट गुट पी जाते,
अगर तुम बोतल में शराब होते।
तुम्हें तोड़ के दिल में सजा लेते,
अगर तुम सुमनों में गुलाब होते।
हम बन जाते रमण जवाब तेरा,
अगर तुम नभ में महताब होते।
नजरों से नजरें जो टकरा जाती,
खिले चेहरे की तुम आब होते।
ह्दयतल से तुम्हें हम हल करते,
अगर कोई सवाल हिसाब होते।
दिल में बादल बन बरस जाते,
अगर आप मौसम खराब होते।
तुम मेरे चित को रोशन कर देते,
गर तुम गगन में आफ़ताब होते।
मनसीरत तो सीने से लगा लेता,
गर तुम दिल की किताब होते।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)